Udayagiri Caves की मेरी यात्रा: प्राचीन कला और इतिहास की खोज
Udayagiri Caves: गुफाओं की वास्तुकला इसकी विस्तृत चट्टान को काट कर बनाई गयी मूर्तियों और बेहतरीन नक्काशी के लिए जानी जाती हैं। उदयगिरि की गुफाएं भोपाल से करीब 75 किलोमीटर दूर हैं। यहाँ आप दो पहिया या चार पहिया दोनों ही प्रकार के वाहनों से पंहुचा जा सकता है। उदयगिरि से सबसे करीब हवाई अड्डा भोपाल में है और नज़दीकी रेलवे स्टेशन विदिशा में।
यहाँ पर वराह गुफा सबसे प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान विष्णु के वराह अवतार की एक विशाल पत्थर पर तराशी गयी छवि है, जो पृथ्वी देवी अर्थात भूदेवी को ब्रह्मांडीय महासागर से उठाती है। इस मूर्ति को देखकर ये कहा जा सकता है की हिन्दू सभ्यता की जड़ें कितनी पुरानी और प्रगाढ़ हैं।
गुफाओं में शिव, दुर्गा और गणेश जैसे कई अन्य देवताओं की भी मूर्तियों को दर्शाया गया है। गुफा 6 में देवी दुर्गा को राक्षस महिषासुर का वध करते हुए दिखाया गया है, जो आप ऊपर व नीचे दी गयी तस्वीरों में देख सकते हैं। उदयगिरि गुफाओं में कुल 20 चट्टानें काटकर बनाई गई गुफाएँ हैं, जिनमें से कई में जटिल नक्काशीदार मूर्तियाँ और शिलालेख हैं। वे मुख्य रूप से हिंदू देवताओं, विशेष रूप से विष्णु और शिव को समर्पित हैं, और कई स्थानों पर जैन सभ्यता की नक्काशी भी हैं।
उदयगिरि की गुफाएँ हिंदुओं और जैन अनुयाइयों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं, जो प्राचीन भारत की धार्मिक संस्कृति को दर्शाती हैं।
उदयगिरि की गुफाएँ हिंदुओं और जैन अनुयाइयों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं, जो प्राचीन भारत की धार्मिक संस्कृति को दर्शाती हैं। मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन गुफ़ाओं के आसपास पर्यटकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बुनियादी व्यस्थाओं का प्रबंध भी किया है। इसमें रास्ते, साइनेज और आगंतुक के रुकने जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
मैंने अपनी Udayagiri Caves की यात्रा के दौरान और भी तस्वीरें खींचीं थीं जो आप इस ब्लॉग में नीचे देखेंगे।
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